– सुबोध कुमार
– चीन पर निर्भरता खत्म किए बिना नहीं आएगी उद्योगों में बहार : एनईए अध्यक्ष
– एनईए ने उठाई नोएडा में रेलवे स्टेशन की मांग
नोएडा। नोएडा एंटरप्रिन्योर्स एसोसिएशन (एनईए) के अध्यक्ष विपिन मल्हन ने कहा कि गिरती अर्थव्यवस्था और कोरोना महामारी ने लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्योगों की कमर ही तोड़कर रख दी है। हालात इतने विकट हैं कि नोएडा के छोटे और मझोले उद्योग अब एसेंबलिंग यूनिट में परिवर्तित हो गए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यहां के उद्योगों की चीन पर निर्भरता है। विपिन मल्हन कहते हैं कि चीन पर निर्भरता खत्म किए बिना एमएसएमई सेक्टर में बहार की कल्पना ही बेमानी है।
नोएडा लाइव को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में एनईए के अध्यक्ष विपिन मल्हन ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में एमएसएमई सेक्टर के लगभग 14 हजार उद्योग काम कर रहे हैं। इनमें तकरीबन 7 से 8 लाख श्रमिक कार्यरत हैं। वह कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद अब हालात सामान्य हो रहे हैं। उद्यमियों और श्रमिकों के मन में अब इस बात का खौफ कम हुआ है कि कोविड के कारण लॉकडाउन लग जाएगा। बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन लगाने से लोगों में यह विश्वास पैदा हुआ है कि उद्योग, उत्पादन और सप्लाई पर अब विराम नहीं लगेगा। एक सवाल के जवाब में एनईए अध्यक्ष ने कहा कि बीते दो वर्षों के मुकाबले हालात अब बेहतर हैं। मार्केट में उत्पादों की डिमांड बढ़ी है। अब श्रमिकों की भी कोई समस्या नहीं है।
एक सवाल के जवाब में विपिन मल्हन कहते हैं कि सरकार की नीतियों के कारण एमएसएमई सेक्टर मैन्यूफैक्चरिंग की जगह एसेंबलिंग यूनिट में बदल गए हैं। छोटे और मझोले उद्योगों की चीन पर निर्भरता 90 फीसदी तक है। इस हालात को तब तक नहीं बदला जा सकता है, जब तक सरकार यहां उत्पादन की पूरी व्यवस्था उपलब्ध न करा दे। वह कहते हैं कि मौजूदा समय में एमएसएमई सेक्टर के लोग चाइना से कच्चा माल और दूसरे सामान आयात करते हैं और यहां एसेंबलिंग करने के बाद डिब्बे पर मेड इन इंडिया लिखकर बाजार में सप्लाई कर देते हैं। यह स्थिति इलेक्ट्रानिक, ऑटोमोबाइल, प्लास्टिक, मोबाइल और चार्जर समेत अधिकतर उद्योगों में देखने को मिल रही है।
देश के बड़े औद्योगिक शहरों में शुमार नोएडा में कच्चे माल के बाजार के बाबत विपिन मल्हन कहते हैं कि यह एक बड़ी चूक है। वर्ष-1976 में नोएडा को औद्योगिक नगरी के रूप में बसाते समय प्लानरों ने इस बात की ओर सोचा ही नहीं कि उद्योगों को कच्चा माल कहां से मिलेगा। उसका कोई प्रॉविजन ही नहीं किया गया। वह कहते हैं कि बीते 25 वर्षों से एनईए शासन और प्राधिकरण से कच्चे माल के मार्केंट की मांग कर रही है। लेकिन, अब तक उनकी मांग पर कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई है।
एनईए अध्यक्ष का कहना है कि वर्ष-1976 में नोएडा के सेक्टर-9 और 10 में जो 50 और 100 मीटर की फैक्ट्रियों के लिए भूमि का आवंटन किया गया था, उनका लैंड यूज बदलकर कच्चे माल के बाजार के रूप में विकसित करने की मांग बीते 25 वर्षों से की जा रही है। प्राधिकरण को यह भी प्रस्ताव दिया गया कि यदि लैंड यूज चेंज करने में किसी न्यायोचित शुल्क की जरूरत हो तो वह भी भुगतान किया जाएगा। लेकिन, उनकी इस मांग पर सरकार और अथॉरिटी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक पहल नहीं की गई है।
विपिन मल्हन कहते हैं कि सेक्टर-9 और 10 को अपने बूते कच्चे माल के मार्केट के रूप में काफी हद तक बदल लिया गया है। हालांकि अब भी यहां के उद्योगों को उत्पादन के लिए दिल्ली या गाजियाबाद पर निर्भर रहना पड़ता है। इसमें समय और श्रम के नुकसान के साथ ही उत्पादन लागत भी बढ़ जाती है। इसके अलावा कभी कभी माल की उपलब्धता नहीं होने से भी मुश्किलेें आती हैं।
एक सवाल के जवाब में विपिन मल्हन कहते हैं कि बीते 15 वर्षों से नोएडा में रेलवे स्टेशन बनाने की मांग की जा रही है। इससे यहां देश के दूसरे राज्यों से बेहतर कनेक्टिविटी हो सके। वह कहते हैं कि नोएडा में उद्योग लगाने के लिए देश के कई राज्यों के उद्यमी यहां आते हैं। यहां के उद्योगों में काम करने के लिए भी देश के कोने कोने से श्रमिक और कर्मचारी आते हैं। यहां स्थापित उद्योगों के लिए कच्चे माल और मशीनरी के आयात के लिए भी सड़क परिवहन पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे समय और धन दोनों की ही बर्बादी होती है। विपिन मल्हन कहते हैं कि नोएडा में रेल की व्यवस्था होने से दिल्ली में भीड़ काफी हद तक कम हो जाएगी।