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दिल्ली/एनसीआर

Noida News : अतिपिछड़ी 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग

– राष्ट्रीय प्रजापति महासंध ने प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन

नोएडा। राष्ट्रीय प्रजापति महासंघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रेषित ज्ञापन में 17 अतिपिछड़ी जातियो को अनुसूचित जातियों में शामिल करने की मांग की है। इन जातियों में कश्यप, धीमर, बाथम, कहर, धींवर, प्रजापति, कुम्हार, मांझी, गोडिया, मल्लाह, केवट, निषाद, मछुआ, बिंद, भर, राजभर, तुरहा आदि शामिल हैं। यह जानकारी महासंघ के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी प्रमोद कुमार प्रजापति ने दी।

प्रमोद कुमार प्रजापति ने बताया कि जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में कहा गया है कि इन 17 अतिपिछड़ी जातियों की स्थिति अत्यंत दयनीय ही नहीं, बद से बद्तर है। इस जाति के अधिकतर लोग भुखमरी की कगार पर हैं। चूंकि ये सब कामगार जातियां जहां सृष्टि के महत्वपूर्ण कार्य में सहायक रहीं, वहीं देश के विकास में भी इनका योगदान अप्रतिम रहा है। ये सभी कामगार जातियां पारम्परिक काम-धंधे व कुटीर व्यवसाय करते हुए अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करती रही हैैं। किन्तु, आधुनिक तकनीक ने इनके पैतृक धंधे छीनकर सभी को रसातल में पहुंचा दिया है। धनाभाव के कारण कोई व्यवसाय करने में भी असमर्थ हैं। चूंकि पेट की भूख मिटाने के लिए पूरा जीवन श्रम आधारित रहा, जिससे अपनी संतानों को भी शिक्षित नहीं कर सके, जिस कारण आर्थिक दिक्कतें झेलने को मजबूर हैं। अशिक्षा के कारण राजनैतिक लाभ से सदैव लगभग शून्यता में ही जीवन-यापन करती चली आ रही हैं। निचले तबके को संविधान में बराबरी में लाने के लिए दी गई व्यवस्था भी ऐसी जातियों के लिए सफेद हाथी बनकर रह गई है। इस हेतु कोई ठोस उपाय सरकारों द्वारा आजादी के 75 सालों तक नहीं किया गया। यदि किया भी गया तो वह दलगत राजनीति की चक्की में पिस कर रह गया।

उप्र की पूर्व सरकारों ने विगत में कई बार प्रयास किया, किन्तु इन्हें सम्यक रूप से लाभ नहीं मिला। जबकि इसी श्रेणी में आने वाली इन्हीं जातियों की मूल जातियां केन्द्र व प्रदेशों की सूची में शामिल हैं। उक्त नामों से नहीं हैं, जबकि उपर्युक्त नाम से जानी जाने वाली जातियों को वही पांच क्रमशः गोंड, शिल्पकार, मझवार, बेलदार व तुरैहा वे जातियां हैं, जिन्हें अनुसूचित जाति के आरक्षण लाभ से आच्छादित किया जाता रहा है। उक्त 17 नाम इन्हीं जातियों के पुकारू नाम का पर्याय हैं।

चूंकि पिछड़े वर्ग में कुछ सम्पन्न जातियां इन निचली जातियों का हक श्चटश् कर रहीं हैं, अतः पिछड़े वर्ग में शामिल उक्त जातियों को अलग करते हुए इन पांच (5) मूल जातियों जो पूर्व में आरक्षित वर्ग में शामिल हैं जिनका वर्णन पूर्व में किया गया है यह सब पुकारू नाम उक्त के पर्यायध्उपनाम हैं को भी उक्त नामों के क्रमांक के सामने अंकित करते हुए इनका पिछडे वर्ग में उपलब्ध आरक्षण प्रतिशत भाग(हिस्सा) अनुसूचित जाति कोटे में समाहित करते हुए इन्हें भी अनुसूचित जाति को मिलने वाले लाभों से लाभान्वित किया जाना चाहिए ।इन्हें मुख्य धारा से जोड़कर उनके उत्थान व बराबरी में लाने हेतु अति आवश्यक है।

उक्त 17 जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में सम्मिलित करने की कार्रवाई में कोई कानूनी अड़चन इस लाभ में आड़े आती हो तो केंद्र सरकार इन सभी को अनुसूचित जाति जैसे आरक्षण का लाभ सभी स्तरों में दें। ऐसी दशा में राष्ट्रीय प्रजापति महासंघ आशा करता है इसकी उक्त 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में उनकी मूल जातियों के साथ जोड़ते हुए अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ दिलाने हेतु अपने मंत्रिमंडल सहित केंद्र सरकार संसद में प्रस्ताव रखकर परिभाषित करते हुए अनुसूचित जाति में सम्मिलित कर आरक्षण से लाभान्वित करने का कष्ट करें। राष्ट्रीय प्रजापति महासंघ और ये सब जातियां पीढ़ी दर पीढ़ी आपकी आभारी तथा ऋणी रहेंगे।

ज्ञापन देने वालों में श्री सुरेंद्र कुमार प्रजापति राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रमोद कुमार प्रजापति प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश श्री महेंद्र सिंह प्रजापति राष्ट्रीय सचिव श्री दरवेश कुमार प्रजापति राष्ट्रीय सचिव श्री विनोद कुमार प्रजापति जिला महामंत्री गौतम बुध नगर श्री पवन कुमार प्रजापति सहित लोग उपस्थित रहे ।

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